रुठ के तुम कहां जाओगी,
लौट के तुम जरूर आओगी,
भूल हम से हुइ है क्या ऐसा,
जिसकी सजा इतनी बेरूखी जैसा,
सजा जब तुम हमको देती हो,
बन्द कमरे मे तुम क्यों रोती हो,
दर्द तो तुमको भि होती है,
जब जब तुम हमको सताती हो,
सुनहरे दिन जब निकाल जायेंगी,
तब पछ्ताये कुछ लौट नही आयेंगी
Aug 13, 2006
Reminding me something,write more…